श्री गौरी माँ चालीसा (Shri Gauri Maa Chalisa)
श्री गौरी माँ चालीसा (Shri Gauri Maa Chalisa) का पाठ अविवाहिक लड़कियों के लिए किसी वरदान से कम नही हैं. वैवाहिक जीवन में शांति प्राप्ति के लिए भी श्री गौरी माँ चालीसा (Shri Gauri Maa Chalisa) का पाठ किया जाता है. वैसे तो किसी भी देवी या देवता की स्तुति के लिए कोई समय अशुभ नहीं होता परन्तु अगर शुकवार के दिन अगर श्री गौरी माँ चालीसा (Shri Gauri Maa Chalisa) का पाठ किया जाए तो शीघ्र फल प्राप्त होता है.
श्री गौरी माँ चालीसा के लाभ (Benefits of Shri Gauri Maa Chalisa)
श्री गौरी माँ चालीसा (Shri Gauri Maa Chalisa) का पाठ वैवाहिक जीवन में चल रहे कष्टों से मुक्ति प्रदान करता है. अगर किसी के जीवन में तलाक तक की स्थिति भी आगयी हो तो भी श्री गौरी माँ चालीसा (Shri Gauri Maa Chalisa) का पाठ करने से जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है. संतान प्राप्ति केलिए भी बहने इसका विशेष पाठ करती हैं.
श्री गौरी माँ चालीसा का पाठ (Shri Gauri Maa Chalisa Lyrics)
॥ दोहा ॥
मन-मन्दिर मेरे आन बसो, आरम्भ करूं गुणगान,
गौरी माँ मातेश्वरी, दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधि न जानती, पर श्रद्धा है अपार,
प्रणाम मेरा स्वीकारिये, हे माँ प्राण आधार।
॥ चौपाई ॥
नमो नमो हे गौरी माता। आप हो मेरी भाग्य विधाता ॥
शरणागत न कभी घबराता। गौरी, उमा, शंकरी माता ॥
आपका प्रिय है आदर पाता। जय हो कार्तिके-गणेश की माता ॥
महादेव-गणपति संग आओ। मेरे सकल क्लेश मिटाओ ॥
सार्थक हो जाए जग जीना। सद्कर्मों से कभी हटूं ना ॥
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो। सुख-सुविधा वरदान में दीजो ॥
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो। मन-भावन संयोग मिला दो ॥
मन को भाये वोह वर चाहूँ। ससुराल पक्ष का स्नेह मैं पाऊँ ॥
परम आराध्य आप हो मेरी। फिर क्यों वर में इतनी देरी ॥
हमरे काज सम्पूर्ण कीजो । थोड़े में बरकत भर दीजो ॥
अपनी दया बनाए रखना। भक्तिभाव जगाए रखना ॥
गौरी माता अंगसंग रहना। कभी न खोऊं मन का चैना ॥
देव मुनि सब सीस निवाते। सुख-सुविधा को वर में पाते ॥
श्रद्धा भाव जो लेकर आया। बिन मांगे भी सब कुछ पाया ॥
हर संकट से उसे उबारा। कीजो। आगे बढ़ कर दिया सहारा ॥
जबहिं आप माँ स्नेह दिखलावें। निराश मन में आस जगावें ॥
शिव भी आपका कहा न टालें। दया दृष्टि हम पे डालें ॥
जो जन करता आपका ध्यान। जग में पाये मान-सम्मान ॥
सच्चे मन जो सिमरण करती। उसके सुहाग की रक्षा करती ॥
दया दृष्टि जब माँ डारें। भवसागर से पार उतारें ॥
जपे जो ॐ नमो शिवाय। शिव परिवार का स्नेह वोह पाय ॥
जिस पे आप माँ दया दिखावें। दुष्ट आत्मा नहीं सतावें ॥
सद्गुण की हो दाता आप। हर इक मन की ज्ञाता आप ॥
काटो हमरे सकल क्लेश। निरोग रहे परिवार हमेश ॥
दुःख-संताप मिटा देना माँ। मेघ दया के बरसा देना माँ ॥
जबहिं आप मौज में आएं। हट जाएं माँ सब विपदायें ॥
जिसपे दयाल हों माता आप। उसका बढ़ता पुण्य-प्रताप ॥
फल-फूल मैं दुग्ध चढ़ाऊं। श्रद्धाभाव से आपको ध्याऊं ॥
अवगुण मेरे ढक देना माँ। ममता आंचल कर देना माँ ॥
कठिन नहीं कुछ आपको माता। जग ठुकराया दया को पाता ॥
गिन पाऊं न गुण माँ तेरे। नाम, धाम स्वरूप बहुतेरे ॥
जितने आपके पावन धाम। सब धामों को माँ प्रणाम ॥
आपकी दया का है ना पार। तभी, तो पूजे कुल संसार ॥
निर्मल मन जो शरण में आता। मुक्ति की वोह युक्ति पाता ॥
संतोष धन से दामन भर दो। असंभव को माँ संभव कर दो ॥
आपकी दया के भरे भण्डार। सुखी वसे मेरा परिवार ॥
आपकी महिमा अति निराली। भक्तों के दुःख हरने वाली ॥
मनोकामना पूर्ण करती। मन की दुविधा पल हरती ॥
चालीसा जो भी पढ़े सुनाय। सुयोग्य वर वरदान में पाय ॥
आशा पूर्ण कर देना माँ। सुमंगल ‘शौंकी’ वर देना माँ ॥
॥ दोहा ॥
गौरी माँ विनती करूं, आन आप के द्वार।
ऐसी माँ कृपा करो, हो जाए उद्धार ॥
दीन-हीन हूँ शरण में, दो चरणों का ध्यान।
ऐसी कृपा कीजिए, पाऊं मान-सम्मान ॥
अपने आराध्य देव को प्रसन्न करने के लिए, करें चालीसा पाठ. दिन के अनुसार करें या मन के अनुसार.
- दुर्गा चालीसा , गणेश चालीसा, हनुमान चालीसा, संतोषी चालीसा, शिव चालीसा, सूर्य चालीसा, शनि चालीसा, विष्णु चालीसा, गायत्री चालीसा, काली चालीसा, शारदा चालीसा, खाटू श्याम चालीसा, श्री राम चालीसा, श्री महालक्ष्मी चालीसा, बगलामुखी चालीसा, श्री गौरी चालीसा, वैष्णों चालीसा, भैरव चालीसा, श्री ललिता चालीसा, सरस्वती चालीसा, श्री परशुराम चालीसा.