श्री शारदा चालीसा (Sharda Chalisa)
श्री शारदा चालीसा (Sharda Chalisa) का पाठ हर विद्यार्थी जो नित्य रूप से करना चाहिए. मेहर में निवास करने वाली माँ शारदा विद्या की देवी कहीं जाती हैं. माता जीवन में ज्ञान के द्वारा हर विषय वस्तु प्रदान करने वाली देवी हैं. इनकी कृपा से गूंगे भी बोल उठते हैं और मंद बुद्धि भी विद्वान बन जाते हैं. शारदा चालीसा (Sharda Chalisa) का पाठ करने से जीवन के सभी सुखो का उपभोग प्राप्त कर के भी मनुष्य अपने धर्म से विमुख नही होता.
श्री शारदा चालीसा के लाभ (Benefits of Sharda Chalisa)
श्री शारदा चालीसा (Sharda Chalisa) के लाभ चमत्कार से कम नहीं होते. अगर आप रोजाना शारदा चालीसा का पाठ करते हैं तो तीव्र बुद्धि की प्राप्ति होती है. बुद्धि से धन और मान सम्मान की प्राप्ति होती है. शारदा चालीसा का पाठ नित्य करने से सभी प्रकार के संकटों का नाश होता है. मनुष्य को कीर्ति की प्राप्ति होती है. धन के साथ उच्च पद की प्राप्ति होती है.
श्री शारदा चालीसा (Sharda Chalisa)
॥ दोहा ॥
मूर्ति स्वयंभू शारदा, मैहर आन विराज ।
माला, पुस्तक, धारिणी, वीणा कर में साज ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय शारदा महारानी। आदि शक्ति तुम जग कल्याणी॥
रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता। तीन लोक महं तुम विख्याता॥
दो सहस्त्र बर्षहि अनुमाना। प्रगट भई शारदा जग जाना॥
मैहर नगर विश्व विख्याता। जहां बैठी शारदा जग माता॥
त्रिकूट पर्वत शारदा वासा। मैहर नगरी परम प्रकाशा॥
शरद इन्दु सम बदन तुम्हारो। रूप चतुर्भुज अतिशय प्यारो॥
कोटि सूर्य सम तन द्युति पावन । राज हंस तुम्हारो शचि वाहून॥
कानन कुण्डल लोल सुहावहि। उरमणि भाल अनूप दिखावहिं॥
वीणा पुस्तक अभय धारिणी। जगत्मातु तुम जग विहारिणी॥
ब्रह्म सुता अखंड अनूपा। शारद गुण गावत सुरभूपा॥
हरिहर करहिं शारदा बन्दन। बरुण कुबेर करहिं अभिनन्दन॥
शारद रूप चण्डी अवतारा। चण्ड-मुण्ड असुरन संहारा॥
महिषासुर बध कीन्हि भवानी। दुर्गा बन शारद कल्याणी॥
धरा रूप शारद भई चण्डी। रक्तबीज काटा रण मुण्डी॥
तुलसी सूर्य आदि विद्वाना। शारद सुयश सदैव बखाना॥
कालिदास भए अति विख्याता। तुम्हारी दया शारदा माता॥
वाल्मीक नारद मुनि देवा। पुनि-पुनि करहिं शारदा सेवा॥
चरण-शरण देवहु जग माया। सब जग व्यापहिं शारद माया॥
अणु-परमाणु शारदा वासा। परम शक्तिमय परम प्रकाशा॥
हे शारद तुम ब्रह्म स्वरूपा। शिव विरंचि पूजहिं नर भूपा॥
ब्रह्म शक्ति नहि एकउ भेदा। शारद के गुण गावहिं वेदा॥
जय जग बन्दनि विश्व स्वरूपा। निर्गुण-सगुण शारदहिं रूपा॥
सुमिरहु शारद नाम अखंडा। व्यापइ नहिं कलिकाल प्रचण्डा॥
सूर्य चन्द्र नभ मण्डल तारे। शारद कृपा चमकते सारे॥
उद्धव स्थिति प्रलय कारिणी। बन्दउ शारद जगत तारिणी॥
दुःख दरिद्र सब जाहिं नसाई। तुम्हारी कृपा शारदा माई ॥
परम पुनीति जगत अधारा। मातु शारदा ज्ञान तुम्हारा॥
विद्या बुद्धि मिलहिं सुखदानी। जय जय जय शारदा भवानी॥
शारदा पूजन जो जन करहीं। निश्चय ते भव सागर तरहीं॥
शारद कृपा मिलहिं शुचि ज्ञाना। होई सकल विधि अति कल्याणा॥
जगत के विषय, महा दुःख दाई। भजहुँ शारदा अति सुख पाई॥
परम प्रकाश शारदा तोरा । दिव्य किरण देवहुँ मम ओरा॥
परमानन्द मंगन मन होई। मातु शारदा सुमिरई जोई॥
चित्त शान्त होवहिं जप ध्याना। भजहुँ शारदा होवहिं ज्ञाना॥
रचना रचित शारदा केरी। पाठ करहिं भव छटई फेरी॥
सत्-सत् नमन पढ़िये धरि ध्याना। शारद मातु करहिं कल्याणा॥
शारद महिमा को जग जाना। नेति-नेति कह वेद बखाना॥
सत्-सत् नमन शारदा तोरा। कृपा दृष्टि कीजै मम ओरा॥
जो जन सेवा करहिं तुम्हारी। तिन कहँ कतहुँ नाहि दुःखभारी॥
जो यह पाठ करै चालीसा। मातु शारदा देहुँ आशीषा॥
॥ दोहा ॥
बन्दउँ शारद चरण रज, भक्ति ज्ञान मोहि देहुँ।
सकल अविद्या दूर कर, सदा बसहु उरगेहुँ ॥
जय-जय माई शारदा, मैहर तेरौ धाम।
शरण मातु मोहिं लीजिए, तोहि भजहुँ निष्काम ॥
अपने आराध्य देव को प्रसन्न करने के लिए, करें चालीसा पाठ. दिन के अनुसार करें या मन के अनुसार.
- दुर्गा चालीसा , गणेश चालीसा, हनुमान चालीसा, संतोषी चालीसा, शिव चालीसा, सूर्य चालीसा, शनि चालीसा, विष्णु चालीसा, गायत्री चालीसा, काली चालीसा, शारदा चालीसा, खाटू श्याम चालीसा, श्री राम चालीसा, श्री महालक्ष्मी चालीसा, बगलामुखी चालीसा, श्री गौरी चालीसा, वैष्णों चालीसा, भैरव चालीसा, श्री ललिता चालीसा, सरस्वती चालीसा, श्री परशुराम चालीसा.