आज की तिथि (Aaj Ki Tithi):- आज की तिथि के साथ पाएं पूरा पंचांग..
आज की तिथि (Aaj Ki Tithi):- ज्येष्ठ मास (कृष्ण पक्ष) प्रतिपदा 24:35 तक, बाद द्वितीया. युगाब्द 5127, विक्रमी संवत् 2082 तदनुसार 13 मई 2025, दिन मंगलवार.
आज का नक्षत्र – विशाखा 09:08 तक.
आज का योग – वरीयान 05:51 तक, बाद परिघ.
आज का करण – बालव 11:31 तक, बाद कौलव 24:35 तक.
आज का शुभ मुहूर्त – 11:52 से 12:46 दोपहर तक.
आज का राहुकाल – 15:43 से 17:25 शाम तक.
आज का दिशा शूल – उत्तर दिशा.
आज का कुटुंब प्रबोधन ज्ञान (Kutumb Prabodhan):-
परिवार में नैतिक शिक्षा को प्राथमिकता दें।
मंगल करण, अमंगल हरण पवन पुत्र हनुमान.
हनुमान चालीसा पाठ से करें दिन की शुरुआत, हनुमान चालीसा सुनें एक क्लिक में.
गीता ज्ञान (Geeta Gyan) चतुर्थ अध्याय श्लोक संख्या.1.
श्री भगवानुवाच
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् ।
विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् ॥
व्याख्या-
श्री भगवान बोले- मैंने इस अविनाशी योग को सूर्य से कहा था, सूर्य ने अपने पुत्र वैवस्वत मनु से कहा और मनु ने अपने पुत्र राजा इक्ष्वाकु से कहा॥
आज का सुविचार और गीता ज्ञान (Aaj ka Suvichar) (Geeta Gyan):-
आज गीता ज्ञान में एक नया अध्याय शुरू हो रहा है, अब भगवान श्री कृष्ण हमे ज्ञान योग और कर्म योग के विषय में ज्ञान प्रदान करेंगे. उपर दिया ज्ञान श्लोक बता रहा हैं, कि श्री कृष्ण एक योगी हैं को इस दुनियां के शुरू में भी थे और अंत में भी रहेंगे. वो ही आदि भी हैं और वो ही अंत भी हैं. भगवान बता रहें हैं किस प्रकार योगी हमेश रहता है हर काल में रहता है, अपने कर्म योग और अपने ज्ञान योग से हम हमेशा रहने वाले हैं.
ज्योतिषाचार्य डॉ सुमित की ओर से प्रार्थना है, कि आपका दिन शुभ हो🙏🏻💐
मन की शांति का केवल एक ही उपाय है, श्री राम चालीसा का पाठ. लिंक पर जाएँ.
कुंडली विश्लेषण के लिए लिंक को छू कर वेबसाइट के अपॉइंटमेंट सेक्शन में जाएँ.
अपने आराध्य देव को प्रसन्न करने के लिए, करें चालीसा पाठ. दिन के अनुसार करें या मन के अनुसार.
- दुर्गा चालीसा , गणेश चालीसा, हनुमान चालीसा, संतोषी चालीसा, शिव चालीसा, सूर्य चालीसा, शनि चालीसा, विष्णु चालीसा, गायत्री चालीसा, काली चालीसा, शारदा चालीसा, खाटू श्याम चालीसा, श्री राम चालीसा, श्री महालक्ष्मी चालीसा, बगलामुखी चालीसा, श्री गौरी चालीसा, वैष्णों चालीसा, भैरव चालीसा, श्री ललिता चालीसा, सरस्वती चालीसा, श्री परशुराम चालीसा.