नवरात्रि 2025 (Navratri 2025): जानें इस बार क्या है विशेष
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो वर्ष में चार बार मनाया जाता है—चैत्र, आषाढ़, आश्विन (शारदीय) और माघ मास में। इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है “नौ रातें,” जिनमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान भक्त व्रत रखते हैं, मां दुर्गा की उपासना करते हैं और जीवन में सुख-शांति की कामना करते हैं।
2025 में नवरात्रि की तिथियां
- चैत्र नवरात्रि: 30 मार्च 2025 से 7 अप्रैल 2025
- आषाढ़ गुप्त नवरात्रि: 29 जून 2025 से 7 जुलाई 2025
- शारदीय नवरात्रि: 25 सितंबर 2025 से 3 अक्टूबर 2025
नवरात्रि 2025 (Navratri 2025):
नवरात्रि क्रम. | दिनांक | देवी स्वरूप |
पहला नवरात्र | 30 मार्च 2025 | शैलपुत्री |
दूसरा नवरात्र | 31 मार्च | ब्रह्मचारिणी |
तीसरा नवरात्र | तिथि क्षय होने के कारण तीसरा चौथा नवरात्र 1 अप्रैल 2025 | चंद्रघंटा |
चौथा नवरात्र | 1 अप्रैल 2025 | कूष्मांडा |
पांचवां नवरात्र | 2 अप्रैल 2025 | स्कंदमाता |
छठा नवरात्र | 3 अप्रैल 2025 | कात्यायनी |
सातवाँ नवरात्र | 4 अप्रैल 2025 | कालरात्रि |
आठवां नवरात्र | 5 अप्रैल 2025 | महागौरी |
नौवां नवरात्र | 6 अप्रैल 2025 | सिद्धिदात्री |
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि देवी दुर्गा की उपासना का पर्व है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन दशहरा (विजयदशमी) का पर्व मनाया जाता है, जो भगवान राम की रावण पर विजय का प्रतीक है।
चैत्र नवरात्रि के दौरान राम नवमी भी आती है, जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। वहीं, गुप्त नवरात्रि तांत्रिक साधना और विशेष अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
नवरात्रि में नवदुर्गा की पूजा क्रमशः
1. प्रथम दिवस – माता शैलपुत्री
महत्व: पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी देवी शक्ति का प्रथम स्वरूप हैं।
पूजा से लाभ: मन की शुद्धि और दृढ़ संकल्प शक्ति प्राप्त होती है।
मंत्र:
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
दुर्गा चालीसा का पाठ करने के लिए लिंक को छुएं…
2. द्वितीय दिवस – माता ब्रह्मचारिणी
महत्व: कठोर तपस्या करने वाली देवी, जो संयम और आत्मनियंत्रण की प्रतीक हैं।
पूजा से लाभ: धैर्य, ज्ञान और आत्मबल की प्राप्ति होती है।
मंत्र:
दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
संतोषी माता चालीसा का पाठ करने के लिए लिंक को छुएं..
3. तृतीय दिवस – माता चंद्रघंटा
महत्व: दस भुजाओं वाली देवी, जिनके मस्तक पर चंद्र का अर्धचंद्र है।
पूजा से लाभ: साहस, आत्मविश्वास और नकारात्मक ऊर्जा का नाश।
मंत्र:
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघंटेति विश्रुता॥
श्री काली चालीसा सुननें के लिए लिंक को छुएं..
4. चतुर्थ दिवस – माता कूष्मांडा
महत्व: सृष्टि की रचना करने वाली देवी।
पूजा से लाभ: रोग-शोक का नाश और स्वास्थ्य लाभ।
मंत्र:
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
शारदा चालीसा का पाठ सुननें के लिए लिंक को छुएं..
5. पंचम दिवस – माता स्कंदमाता
महत्व: भगवान कार्तिकेय की माता, जिनकी कृपा से ज्ञान और मोक्ष प्राप्त होता है।
पूजा से लाभ: संतान सुख और बुद्धि विकास।
मंत्र:
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
श्री महालक्ष्मी चालीसा पाठ सुननें के लिए लिंक को छुएं…
6. षष्ठम दिवस – माता कात्यायनी
महत्व: महर्षि कात्यायन की पुत्री, जो राक्षसों का नाश करने वाली हैं।
पूजा से लाभ: विवाह और प्रेम संबंधी समस्याओं का समाधान।
मंत्र:
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवघातिनी॥
गायत्री चालीसा सुननें के लिए लिंक को छुएं…
7. सप्तम दिवस – माता कालरात्रि
महत्व: अज्ञान और अंधकार का नाश करने वाली देवी।
पूजा से लाभ: भय, रोग और बाधाओं से मुक्ति।
मंत्र:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
माता महा गौरी चालीसा सुननें के लिए लिंक को छुएं…
8. अष्टम दिवस – माता महागौरी
महत्व: अष्टम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।
पूजा से लाभ: सौभाग्य, समृद्धि और इच्छापूर्ति।
मंत्र:
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदिनी॥
9. नवम दिवस – माता सिद्धिदात्री
महत्व: देवी सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों की अधिष्ठात्री हैं।
पूजा से लाभ: मोक्ष और परमशांति की प्राप्ति।
मंत्र:
सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
नवरात्रि में घर पर पूजा विधि…
1. कलश स्थापना:
मिट्टी के पात्र में जौ बोकर उस पर जल से भरा कलश रखें।
कलश पर नारियल, आम के पत्ते और लाल वस्त्र बांधें।
2. नित्य पूजा विधि:
मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
अखंड दीप जलाएं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
भोग में फल, मेवा और पंचामृत अर्पित करें।
3. कन्या पूजन:
अष्टमी और नवमी को कन्याओं को भोजन कराकर दक्षिणा दें।
इनके पैर धोकर आशीर्वाद लें।
नवरात्रि में ध्यान देने योग्य बातें..
व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें।
बुरे विचारों और क्रोध से बचें।
घर में स्वच्छता बनाए रखें।
नवरात्रि के अंतिम दिन हवन करें।
निष्कर्ष
नवरात्रि एक दिव्य और शक्तिशाली पर्व है, जो आत्मिक शुद्धि, भक्ति और शक्ति का अद्भुत संगम है। यह नौ दिनों की साधना आत्मा को शुद्ध करने का अवसर देती है और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है।