Durga Chalisa lyrics: नवरात्रि में दुर्गा चालीसा जरुर पढ़ें

श्री दुर्गा चालीसा: (Durga chalisa lyrics)

“दुर्गा चलीसा जो कोई गावे सब सुख भोग परम पद पावे” 

दुर्गा चलीसा (Durga Chalisa lyrics) का पाठ करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. माता की शरण प्राप्त होती है.

नवरात्रि Navratri 2024:

नवरात्रि का पर्व दुर्गा पूजन का मुख्य समय होता है. इस बार नवरात्र 3 oct 2024 से शुरू हो रहे हैं. जो भी मनुष्य माता की शरण में जाता है, माता उसके सभी कष्टों का अंत कर देती है. 

दुर्गा माता जगत जननी हैं, दुर्गा की शरण में जो भी कोई जाता है, माँ भगवती उसे अपना बच्चा समझ कर उसके सभी अपराध माफ़ करती हैं. और जीवन के सभी सुखों का आशीर्वाद देती हैं.

 

नवरात्रि (Navratri 2024) में माता को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा चलीसा (Durga Chalisa) का पाठ बहुत ही सरल और महत्वपूर्ण उपाय है. जो भी व्यक्ति नियम से दुर्गा चालीसा के 100 पाठ करता है माता हमेशा उसके साथ रहती है. 

दुर्गा चालीसा (durga chalisa lyrics)

durga chalisa lyrics: दुर्गा चालीसा का पाठ हिंदी में करने के लिए यहाँ पढ़ें. सबसे पहले माता का ध्यान किया जाता है.

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। 

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।

नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।

तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥

शशि ललाट मुख महाविशाला ।

नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥

रूप मातु को अधिक सुहावे ।

दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४

तुम संसार शक्ति लै कीना ।

पालन हेतु अन्न धन दीना ॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।

तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी ।

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ ८

रूप सरस्वती को तुम धारा ।

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।

परगट भई फाड़कर खम्बा ॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।

श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२

क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।

दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।

महिमा अमित न जात बखानी ॥

मातंगी अरु धूमावति माता ।

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी ।

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६

केहरि वाहन सोह भवानी ।

लांगुर वीर चलत अगवानी ॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै ।

जाको देख काल डर भाजै ॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।

जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।

तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २०

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।

रक्तबीज शंखन संहारे ॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी ।

जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥

रूप कराल कालिका धारा ।

सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।

भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २४

अमरपुरी अरु बासव लोका ।

तब महिमा सब रहें अशोका ॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।

तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।

जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २८

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।

योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥

शंकर आचारज तप कीनो ।

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥

शक्ति रूप का मरम न पायो ।

शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३२

शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।

जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो ।

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥

आशा तृष्णा निपट सतावें ।

मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३६

शत्रु नाश कीजै महारानी ।

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥

करो कृपा हे मातु दयाला ।

ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥

जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।

सब सुख भोग परमपद पावै ॥ ४०

देवीदास शरण निज जानी ।

कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥

॥दोहा॥

शरणागत रक्षा करे, भक्त रहे नि:शंक ।

मैं आया तेरी शरण में, मातु लिजिये अंक ॥

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥

दुर्गा चलीसा पाठ विधि ( How Perform Durga Chalisa Path)

  • प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर स्नान करें.
  • शुद्ध सफ़ेद, पीले या लाल निर्मल वस्त्र पहनें.
  • आम की चौंकी पर माँ भगवती का आसन लगाएं.
  • माता की प्रतिमा को पञ्च अमृत से स्नान करवाएं.
  • देशी घी का दीपक लगाएं.
  • लाल फूल या पीले फूलों से माता की पूजा करें.
  • पञ्च मेवे का भोग लगाएं.
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करें. 

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